Image Of Virtue..."सत्य संकेत"

Image Of Virtue
कोई और कहाँ है उसके जैसा,
जो गहरा इतना विशाल है
हर आकृति के पीछे...
"एक सवाल है"
जो शायद कुछ भी न कहता हो
फिर-भी 'व्यक्त आभास' है,
कण-कण में प्रकृति-प्रकृति सांसों में
भी उद्गार है…संकेत छुपा है आस-पास पर अज्ञान फैला…सब माया है,
मृत्यु व जीवन के मध्य सिमटा सब प्रयास है,
नभ के दोनों छोड़ों तक…एक वही तो गुंजायमान है,
मानव मस्तक के ठीक उपर एक
अत्यंत विस्तृत संसार है...

11 comments:

Aru said...

मैं पहली बार कि‍सी की कवि‍ता पर टि‍प्‍पणी दे रही हूँ. आपको शायद यकीन न हो लेकि‍न ये सच है. वाकई आपकी कवि‍ता मेरे लि‍ए एक ऐसा सवाल है जि‍सका जवाब में शब्‍दों में नहीं दे सकती. बस इतना कहूँगी कि‍ इसमें सागर और आकाश जि‍तनी गहराई है.

Upasthit said...

Kabhi kabhi itna baudhik aur itani sarvajanikatamay vyaktigat padh kar bhay lagta hai. Man me chupa jhuth sar utha kar dekhta hai, chaunkta hai aur fir reet me sar ghusaa kar khud ko srakshit manane ka abhinay karta hai.
Kavita me bas ek bas spashtatah aaya par har kaheen vyapt(neshak keval kavita me hee naheeM) "Vyakt abhaas" daraata hai, apani buadhikta se, apanee abhaasi spashtataa se...

Divine India said...

Hi Arundhati,
जब से मैनें Blogging करना शुरु किया है तब से अबतक का यह सबसे बड़ा प्रशंसोक्ति शब्द हैं,आप मेरे ब्लाग पर आईं इसका बहुत-2 शुक्रिया…
I will expect u to my next show...so do cme...

Divine India said...

रवीन्द्र भाई,
कई ऐसे पहलु हैं जिसे हम जानकर भी अंजान बनाना चाहते हैं…चाहे दिशाएँ हमें मजबूर हीं क्यों न करें चलने के लिए।वास्तविक इंसान है ही कितने इस दुनियाँ में…मेरे जाल पर आने के लिए धन्यवाद … आप आपना दृष्टिकोण देते रहेंगे ऐसी आशा है।

Upasthit said...

Vishay se hat kar baat kahunga, shayad ahchi na lage. Ye tippaDi kona hamara matlab pathakon ka hona chahiye, aap BHEE(keval aap hi nahi, adhiktar) yahan aakar hamari pratikriyaon par apni pratikriya dene lage. Bhai ye to koi baat nahi, jo apki jagah hai, apane kataghare se, bas vahin se kahen, :). Aur chalo maanaa aapne ek niyam ka atikraman kiya, theek, par dhaanyavad...ayin, kyon bhai, apki rachana hame achchi buri jaisi bhi lagi, ham jimmedar hain, aap dhanyavad naa hi kahen(kam se kam mujhse) to behtar. :) .
(Ab ap jaise pahunche huye prani se to main hi kahunga ki take this in right spirit, sameer jee ki tarj par anyatha na len).

रंजू भाटिया said...

अदभुत ....लिखा है आपने
कौन है जो इस रोशनी को अपने प्रकाश से जगमगा रहा
कौन है जो डूबते दिल को राहा है दिखा रहा
किस के आभास से ही यह दुनिया चल रही
कौन है जो भटके हुए को मंज़िल से मिला रहा !!


बहुत ही सुंदर ......

ranju

Monika (Manya) said...

Hi divya.. ek baar phir tumse impress hun.. Bahut kam shabadon me bahut kuchh kah diya.. aur ahsaas kara diya us vistrit-vyakat abhaas ka.. Snaketon se to hum sab parichit hai par apne moh- agyaan se nahin nikalna chahte.. us agyaan ko yaad dilane ke liye shukriya..

Divine India said...

Hi Ranju,
हौसला अफजाई का शुक्रिया और जो छंद लिखे यही दर्शन है…

hello Manya,
क्या कहुँ…!!!तुमने इतना कुछ कह दिया…धन्यवाद।

Divine India said...

Hi Ravindra,
जिस हास्यास्पद रुप में तुम यहाँ भटके कुछ अजीब लगा,टिप्पणी पर मात्र उनका अधिकार कैसे कायम हो सकता है जो आते हैं और चले जाते हैं…जानते हो समाज ने कुछ नियम बनाएँ हैं उनमें से एक नियम---व्यवहारीकता का भी है…और!!ज़नाब सब कुछ से तो इंसान गरीब है ही वचन से व्यक्ति को दरिद्र नहीं होना चाहिए…यहाँ पर मैं अलग विषय पर चर्चा करना पसंद नहीं करता…अपने परिचित उद्गार के लिये मुझे Mail करो…एक बात…व्यक्ति पहुँचा हुआ नहीं होता उसकी चुनौतियाँ महान होती हैं…समझे!!

Udan Tashtari said...

बहुत खुब लिखा है संपूर्ण गहराई के साथ. बधाई स्विकारें.

Upasthit said...

:)..thanks sir.