प्रीत की लगन या मुक्ति मार्ग


आगोश में निशा के करवटें बदलता रहता है सवेरा
लिपटकर उसकी संचेतना में बिखेरता है वह प्रांजल प्रभा…
संभोग समाधि का है यह या अवसर गहण घृणा का
फिर-भी तरल रुप व्यक्त श्रृंगार, उद्भव है यह अमृत का…

उत्साह मदिले प्रेम का…
जागते सवेरे में समाधि…
अवशेष मुखरित व्यंग…
या व्यंग इस रचना का…

शायद मेरे अंतर्तम चेतना का गहरा अंधकार
जो अव्यक्त सागर की गर्जना का उत्थान है…
सालों से इतिहास बना वो कटा-फटा चेहरा
कहना चाहता है कुछ मन की बात…

दिवालों की पोरों में थी उसके सुगंधी की तलाश
प्रकृति के संयोग में आप ही योग बन जाने की पुकार…
विस्तृत संभव यथा में लगातार संघर्ष कर पाने का यत्न
किसके लिए… उस एक संभव रुप लावण्य की प्रतीक्षा…

सारा दिवस बस भावनाओं की सिलवटों में बदल ले गई
आराम की एक शांत संभावना…
शायद इस कायनात में रंजित नगमों की वर्षा में सिसकियों
की अभिलाषा ही टिक सकी हैं…

आज इस निष्कर्ष पर जाकर ठहर गया है मन
ना अब किसी की प्रतीक्षा ना किसी की अराधना
खोल दृष्टि पार देख गगन के वहाँ कोई नहीं है
किसी के पीछे…
वहाँ उन्मुक्त सिर्फ मैं हूँ…"मैं"

खोकर एक संभावना आगई देखो कितनी संभावना…
मधुर प्रीत का सत्य संकरे मार्ग से होकर मुक्ति में समा गया…
नजरे उठकर जाते देख तो रही हैं उस उर्जा को पर
अब चाहता नहीं की वो वापस उतर आये मेरे अंतर्तम में…।

=> आप सभी को मेरी ओर से बीते दिपावली की ढेरों बधाइयॉ

क्या करूँ अपनी फिल्म को लेकर बहुत व्यस्त था… बस खुशी इस बात की

है कि मुझे दो फिल्में और मिल गई हैं, जिसका निर्देशन और लेखन मैं ही

कर रहा हूँ…। मेरी पहली Commercial Film, "AUR- Life Is A Story"

है जिसमें संभवत: Kon-Kona-Sen Sharma को लिया जाए… अभी बात

चल रही है… इसकी Shooting लंदन में मार्च में शुरु होगी जिसकी बजह से

व्यस्तता बढ़ गई है … बस आप सब दुआ करें की मैं अपने लक्ष्य को पूरा कर

लूँ… चूंकि इसका निर्देशन मेरा है तो मुझपर काफी बोझ भी है…।कुछ मन में

भावनाएँ उठी सो पता नहीं क्या लिख दिया है…।


9 comments:

पारुल "पुखराज" said...

खोकर एक संभावना आगई देखो कितनी संभावना…
bahut arsey baad aapko padhaa..

Rachna Singh said...

kaafi din baad blogpar deekhae hamesha ki tarah ek achhii kavita kae saath

ghughutibasuti said...

समझने की कोशिश कर रही हूँ । क्या मैं ठीक समझ रही हूँ ? संभावनाएं तो अनंत हैं परन्तु उन सबके अन्त में केवल 'मैं' ही होता है । यदि दो मैं मिलकर हम बना दें तो संभावनाएं अनंत से भी आगे बढ़ सकती हैं परन्तु क्या यह होता है ?
बहुत दिन बाद आपको पढ़ा.। जो भी कर रहे हैं उसके लिए शुभकामनाएं।
घुघूती बासूती

Gyan Dutt Pandey said...

बस आप सब दुआ करें की मैं अपने लक्ष्य को पूरा करलूँ…
-----------
शुभकामनायें।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

दीव्याभ आपकी व्यस्तता का कारण जान गये परँतु आपका लिखा एक अर्से बाद पढकर खुशी हुई
नई फिल्म के निर्देशन की सफलता के लिये हार्दिक शुभकामनाएँ
- स स्नेह,
- लावण्या

Anonymous said...

Divyaabh bare dino me nazar aaye, lekin karan jaankar khushi hui, safalta ke liye bahut bahut shubhkamnayen

Alpana Verma said...

सारा दिवस बस भावनाओं की सिलवटों में बदल ले गई
आराम की एक शांत संभावना…
-bahut hi khubsurat lekhan hai aap ka.
-aap ka mere blog tak aana mujhey achcha lga.
dhnywaaad.
-aap ko aap ke naye project mein saflta miley ishwar se prathna rahegi-dheron shubhkamnaOn ke saath.

Jimmy said...

bouth he aacha post kiyaaa


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Anonymous said...

hmmm..interesting hai!thoda difficult bhi!yet impressive bhi hai:)