मेरा गीत, मेरी मधुशाला…!!!
"काफी समय बीत गया रुह चुराने में…
शायद जीवन और लगे उसे पास लाने में"।
इस दौरान मेरे एक मित्र मधुमये जी जो संगीतकार हैं,
उन्होंने मुझे प्रेरित किया गीत लिखने के लिए और बस
कलमबद्ध गीत की संगीतमय रुपरेखा तैयार हो गई…
वैसे तो ये बहुत पहले ही संगीतबद्ध हो चुका था किंतु
समयाभाव के कारण पोस्ट नहीं कर पा रहा था…
लीजिए प्रस्तुत है मेरा लिखा और मधुमये जी का संगीत
आप सबके सामने…
कैसा लगा ये जरुर बताएँ… वैसे भी पहला प्रयास था मेरा गीत
लिखने का…।
धन्यवाद!!
11 comments:
दीव्याभ,
कहाँ हो ?
बडे दिनोँ बाद दीखे ..
और गीत बहुत soothing,
सुकुन देनेवाला,
मधुर लगा -
स्नेह,
- लावण्या
jindgi tu kaha aur aa gaya main kidhar janu na....bahut sunder!
Sir, aapka filmo se sidha rishta hain..zindgi par already bahut song hain... aur agar old melodious songs ki baat kare to behad behtareen songs hain...that fact is this ki kuch nayapan nahi laga song mein... aaj bhi jab purane song sunte hain to zindgi ke kafi nazdeek pate hain unko... obviously aap jis industry se hain ... to expectations automatically badh jati hain....shayad isiliye likh baithi ye sab.....par wahi kaha jo sach laga
कैसे हैं आप दिव्याभ जी ,बहुत दिनों बाद आप दिखे ..गाना सुना बहुत पंसद आया ..ढेर सारी शुभकामनाये
Sir,agar kuch galat laga ho to pls forgive me....but jo mehsoos kiya wo kaha.....
accha laga
बहुत खूबसूरत बिम्ब इस्तेमाल किये हैं आपने।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
sorry to b so late on here although hv heard it many times..n evn remember when it was created n composed...like always very soft feel n cute words...very hummable:)
song has got a good flow and feel.light and cool.
First attempt is a good start.
Anupama
nice song bhaiya
गीत संगीत दोनो सुंदर और मधुमये मुझे तो ये नाम ही बहुत अच्छा लगा एक दम मधुर । क्या आपने गाया है ?
Heloo
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