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"दिनकर"… एक बलंद आवाज ।
महात्मा…Gandhi...।
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अनंत मन टटोल…
का कहूँ उस प्रीत की…
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दर्शन की बूंद पड़ी…
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प्रेम पंथ ऐसो कहाँ…
प्रेम रस की ओढ़ चदरिया…
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Incredible India...! अतुल्य भारत…???
Incredible India...! अतुल्य भारत…? अचानक मैं घोड़े की टाप से रौंदा जाने लगा, चेहरे से रक्त की धार फूटने लगी, मेरा हरा-भरा बाग जिसमें ...
अशुभ की समस्या…!!!
ऐसे काफी सारे प्रश्न हैं जो हमें उद्वेलित करते रहते हैं… और उनमें सबसे महत्व- पूर्ण दार्शनिक दृष्टिकोंण से है कि जब इस जगत का निर्माता ईश्वर...
प्रीत की लगन या मुक्ति मार्ग
आगोश में निशा के करवटें बदलता रहता है सवेरा लिपटकर उसकी संचेतना में बिखेरता है वह प्रांजल प्रभा… संभोग समाधि का है यह या अवसर गहण घृणा का फि...
आशा का नभ है विशाल…।
जाने कितनी ही सुबह बीत गई रात को तकने के बहाने पर याद रहा मेरा यही साथी जो साथ चला था तन्हाइयों में उस वक्त… अपने फिल्म को लेकर इतना व्यस्त ...
मेरा गीत, मेरी मधुशाला…!!!
"काफी समय बीत गया रुह चुराने में… शायद जीवन और लगे उसे पास लाने में"। इस दौरान मेरे एक मित्र मधुमये जी जो संगीतकार हैं, उन्होंने म...
प्रश्नों की भौतिक भूमि पर खड़ा “द्रष्टा”
“हमेशा चाहना यही होती है कि पूछा जाये मुझसे मेरी निकटता के दो प्रश्न…उलझु न जिसमें ‘मैं’ और दंभ पुलकित होता हो, शायद ही कभी अपने सपनों की दो...
चला मुरारी "Director" बनने…!!!
बिहार के ग़र्द से दिल्ली की ज़र्द तक और मुंबई के "अर्ज़" पर चला यह 'मुरारी' अब "Director" बनने...!!! UPSC(IAS)छ...
River Valley to Silicon Valley: एक समीक्षा
आज बहुत दिनों बाद या यों कहा जाए कि पहली बार किसी पुस्तक की समीक्षा करने का मौका मिला जो मेरे लिए एकदम अलग अनुभव रहा…कई दिनों से यह इच्छा थ...
चार कौए उर्फ़ चार हौए
बहुत नहीं थे सिर्फ़ चार कौए थे काले उन्होंने यह तय किया कि सारे उड़ने वाले उनके ढंग से उड़ें, रुकें, खाएँ और गाएँ वे जिसको त्योहार कहें ...
पुत्र का ख़त पिता के नाम…!!!
अनायास ही मन हो आया लिखूं आपको अपनी भाषा का एक ख़त, पिता हैं आप ! शायद समझेगें पुत्र का दर्द …। आज जाकर वह वेला आई है जब उभरे है कागज पर अक्ष...
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