राष्ट्रकवि "दिनकर" जन्मशताब्दी समारोह- एक झलक

न देखे विश्व पर मुझको घृणा से, मनुज हूँ सृष्टि का श्रृंगार हूँ मैं।
सुनूँ क्या सिंधु!! मैं गर्जन तुम्हारा स्वयं युग-धर्म का हुंकार हूँ मैं।

इन पंक्तियों की प्रखरता को देखकर सहज ही अनुमान लगाया
जा सकता है कि मैं बात किसकी करने वाला हूँ… इसकारण
बताना भी उचित नहीं समझता… आप स्वयं विद्वान हैं।
बड़े दु:ख के साथ कहना पड़ रहा है कि इतना बड़ा आयोजन
दिल्ली शहर में ही हुआ और सभी ब्लागर मित्र इससे वंचित
रह गये… मैंने काफी प्रयास किया कि आप सभी को
अवगत कराया जा सके पर सभी व्यर्थ। मैंने चिठ्ठाकार
को कम से कम 5-6 पत्र लिखे होंगे पर वह क्यों नहीं पहुंच पाया,
एक हास्यास्पद स्थिती उत्पन्न करता है… नित्य दिन
एक हल्की सूचना देता पत्र भी मेल बाक्स में आ जाता
है मगर जब इस आयोजन की सूचना मैं………???
कुछ लोगों के Email मिल जाने के कारण मैं व्यक्तिगत
रुप से संपर्क साध पाया…कुछ आये भी…।
मेरा उद्देश्य मात्र यह था कि राष्ट्रकवि दिनकर पर,
जिनके भी अच्छे काम हों वह अपनी लेखनी भेज सकें…
स्मारिका "समर शेष है" के लिए जिसमें स्वयं प्रधानमंत्री और
कई सारे मंत्रीगण ने अपना बौद्धिक सहयोग दिया है…
इस विचित्र स्थिती पर एक ही पंक्ति याद आती है---

"सच है, सत्ता सिमट-2 जिनके हाथों में आयी
शान्तिभक्त वे साधु-पुरुष क्यों चाहें कभी लड़ाई???"




इस समारोह का उद्घाटन स्वयं माननीय गृहमंत्री जी
ने किया…।



मुरली मनोहरजोशी, शिंदे जी, वशिष्ठ नारायण सिंह,
पूर्व सांसद डा0 रत्नाकर पांडे व श्री अरुण कुमार आदि कई
महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने भाग लिया…।




ज्योति प्रज्वलन कार्यक्रम माननीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल
के कर-कमलों द्वारा…।




राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मारिका " समर शेष है…"
का विमोचन।



इस स्मारिका में मेरी भी कविता "दिनकर-एक बलंद आवाज"
को जगह मिली साथ ही हमारी प्रिय ब्लागर एवं प्रेम शिक्षिका
रंजना भाटिया जी ( रंजू) की भी रचना प्रकाशित हुई है…।



"मानव जब जोर लगता है,
पत्थर पानी बन जाता है।"
काफी बड़ी संख्या में सरल और विद्वत-जनों ने भाग लिया…।



"शान्ति खोलकर खड्ग क्रांति का जब वर्जन करती है,
तभी जान-लो, किसी समर का वह सर्जन करती है…।"
जैसी महान गीत रचना का आनंद उठाते जन…।





"मैं विभा-पुत्र जागरण गान है मेरा
जग को अक्षय आलोक, दान है मेरा।"
समारोह का अंत भी होना ही था… जब गीता का
अंत आ गया तो यह तो आम सभा ही थी…



पापी कौन? मनुज से उसका न्याय चुरानेवाला?
या कि न्याय खोजते विघ्न का शीश उड़ानेवाला?




इस चित्र में मेरा अपना परम प्रिय अनुज अदिति नंदन जी
( दाहिने से चौथे मुंड चश्मा लगाए), तथा इस समारोह के
प्रमुख आयोजक श्री नीरज जी (अध्यक्ष, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह
दिनकर स्मृति न्यास)…तस्वीर में बांयें से दूसरे व्यक्ति।




इसप्रकार से समारोह का अंत हुआ तथा मिडिया वालों
ने भी काफी सहयोग दिया सहारा समय, दूरदर्शन, जी न्यूज
E tv से इसका सीधा प्रसारण किया जा रहा था तथा आज तक
और स्टार न्यूज से खबरें दिखाई गईं। जिसप्रकार राष्ट्रकवि
"दिनकर" को लोगों ने याद किया वह अद्भुत था…।
मैं तो हमेशा ही यही कहता आया हूँ कि---

"वह कवि नहीं उन जैसे जो नारी में एक नई नारी
प्रकृति में भी सुंदरा नारी ही देखा करते थे…
वह कवि नहीं महाकवि थे जो जन-जन में
हुंकार देखा करते थे… भारत का नव -भविष्य
कंप- कपाते लबों पर ओज घोला करते थे…।"

दिनकर जी की एक सुंदर पंक्ति से इसका अंत करना
चाहूंगा…
"फूलों की क्या बात? बाँस की हरियाली पर मरता हूँ।
अरी दूब, तेरे चलते, जगती का आदर करता हूँ।
इच्छा है, मैं बार-बार कवि का जीवन लेकर आऊँ,
अपनी प्रतिभा के प्रदीप से जग की अमा मिटा जाऊँ॥"

वैसे दिसम्बर माह में नीरज जी ने लाल किला
में पुन: इसका अयोजन करने का निर्णय लिया है
जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्री जी के हाथों द्वारा किया जाएगा…
इसके लिए अभी से तैयारी
शुरू कर दी गई है…।

पता नहीं कुछ तकनीकी कारणों से मेरी पहले की रचना मिट गई…
चूंकि मैं अभी अपनी पहली Short Film ---
"The Man In The Mirror" की वजह से काफी
व्यस्त चल रहा हूँ… ब्लाग पर भी आने का मौका
कम ही मिल पाता है… उपर से पुरानी रचना मिट गई
खैर कुछ-2 तो लिखता ही रहेगा मन।

14 comments:

Manish Kumar said...

आपकी कविता छपने के लिए बधाई। दिनकर मेरे सर्वप्रिय कवि रहे हैं। उनके जन्मशती समारोह की चित्रों के साथ विस्तृत रपट देने के लिए आभार !

Sanjeet Tripathi said...

आपको व रंजना जी को बधाई!!

शुक्रिया इन तस्वीरों व रपट के लिए!

रंजू भाटिया said...

बहुत ही सुंदर तरीके से आपने इसको लिखा है ...मैं वही थी और निरन्तर आपकी कमी को महसूस करती रही वहाँ पर
जल्द ही मैं अपने ब्लॉग पर भी इस समारोह का उल्लेख करुँगी जब तक वहाँ रही दिनकर जी की ओजस्वी कविता और उनके बारे में सुनती रही! मेरे लिए यह जिन्दगी के न भूलने वाले पलों में से एक है... आपकी कविता समर शेष है हाथ में आते ही पढ़ ली थी बहुत ही अद्भुत लिखा है आपने ...शुक्रिया ..एक बार फ़िर बहुत बहुत बधाई और शुभकामना के साथ

रंजना

Udan Tashtari said...

आपको व रंजना जी को बधाई एवं इतनी शानदार चित्रमयी रपट के लिये बधाई.

रवीन्द्र प्रभात said...

भाई,
अच्छा लगा आपकी प्रस्तुति देखकर,आप ऐसे ही लिखते रहें, दिनकर जन्मशती समारोह की चित्रों के साथ विस्तृत रपट देने के लिए बधाई!!

विकास परिहार said...

मित्र आपको अपकी कविता के प्रकाशन के लिये बहुत बहुत बधाई और आपकी पहली लघु-चलचित्र की सफलता की कामना करता हूं। मित्र एक बात कहते बहुत हिचक हो रही है परंतु मैने अपने जीवन की पहली कहानी लिखी है यदि थोड़ा समय निकाल कर, उसे पढ कर उसकी त्रुटियां और आगे के लिये सुझाव सुझावें।
साभार विकास

Monika (Manya) said...

very nice,,, पढ्कर लगा समारोह देख आई.. अफ़सोस रहेगा नहीं आ पाने का... तुम्हें और अदिति दोनों को बहुत बधाई.. काफ़ी दिनों बाद आई हूं यहां...तरोताजा महसूस कर रही हूं.. लगता है तुमने भी आना कम कर दिया.. "वंदे-मातरं" के बाद तुम्हारी कौन सी रचना मिट गई जो मैं नहीं पढ पाई.. मुझे अफ़सोस रहेगा.. मैं टिप्प्णी करूं ना करूं पर .. पढती हमेशा हूं.. खैर.. ये महाकवि दिनकर जी के जन्मशताब्दी समारोह पर तुम्हारा लिखा पढकर प्रफ़ुल्लित हो गया.. धन्यवाद...

Monika (Manya) said...

N yes ALL THE VERY BEST for your first short film.. do well.. wish u success...

Reetesh Gupta said...

दिव्य,

बहुत सुंदर प्रस्तुति...पूरे समारोह की..
दिनकर जी के बारे में क्या कहूँ ...हमने तो उन्हें अपनी पाठ्य पुस्तकों में पढ़ा है..

कौन हैं हमारे दोर के दिनकर ...शायद यह सवाल ही अब बेमानी लगता है...पर मन उन्हें भी जानने की चाह रखता है

आपके और रंजू जी की कविता के प्रकाशन पर हमारी बधाई स्वीकारें ....

kousar said...
This comment has been removed by the author.
kousar said...

Divyabh bhai,
incredibly marked up the event related with the great literary persona of the india.
congratulate on first movie making.
hugely expected inventive & extraordinary job from you as always.im sure you can do it.
lots of great luck & success.
dont forget posting in busy span of your life.

Anonymous said...

भैया उस समारोह मे आपकी अनुपस्थिति काफ़ी मह्सूस हुई। आपकी कविता ने स्मारिका मे चार चान्द लगाया है।सारे हिन्दी प्रेमी आप जैसे लोगो का आभारी रहेगा।बस कलम की गति… सप्रेम;
अतुल

Anonymous said...

well,i have nothing to say...it was one of those events where identity of individuals disappears!it was very big event n ppl across all lines came...certainly a matter of gr8 pride for me to b one of the authority there...:)
but even more important n special is ur poem selected out of more than 800 articles came for publishing!!!n i m sure ppl dont hv the idea that ur POEM was considered best in the book...which is been recognised my Dr.Murlimanohar Joshi...:)
keep the good work going..love you!!!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

दीव्याभ, दीनकर जी पर आपकी प्रविष्टी आपकी उन पर श्रध्धाँजली स्वरुप कविता के बारे मेँ व, "man in the Mirror " ये सभी देखा मैँने और सुना --
क्या बात है -
- बहुत अच्छा और विस्तृत आलेख तैयार किया है
पूज्य दीनकर जी की पावन स्मृति को मेरे नमन - रँजना जी को भी स स्नेह बधाई
स स्नेह, सादर,
-- लावण्या